सुवा रे कही देबे दाई ल संदेश
बेटी ल भेजही पढ़े बिदेश
बिहाव के संसो ल कबे अभी तै मेट ! सुवा रे…..!
बड़े भईया ल पढ़ाये छोटे भईया ल पढ़ाये
पर के धन कही कहीके हम ल रंधना रंधवाये,
बनके साहेबवा करत हे कोन देखरेख !सुवा रे…..!
पढ़ के बेटी दू आखर हो जाही समझदार
अपन महिनत ले सेवा बजाही लागा न काकरो उधार,
बेटी बेटा म झन कर अब तै भेद! सुवा रे……!
भुख भगाय खेती ले घर सुघराय बेटी ले
बनथे बिगड़थे हमर भविश दाई ददा के सेती ले,
गंवा झन बेरा जा ओ दाई अब तै चेत! सुवा रे……!!
ललित नागेश
बहेराभांठा(छुरा)
४९३९९६७
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